बूंदों की रिमझिम की गुजारिश को सुन,
मोहब्बत में सब कुछ लुटाने की सिफारिश को सुन...
और सुन...इस के साथ बहती मदमस्त हवा का संगीत,
जो याद दिला रही है तुझे, तेरा बिछुड़ा हुआ मीत।
और सुन... झूमते पत्तों की कसमसाहट...
जो बढ़ा रही है मन में तेरे घबराहट।
और सुन इस तपती हुई धरती के सीने से निकलती हुई
तपिश की तड़प...
जो खींचे जा रही है तुझे बुझाने दिल की आग,
तेरे महबूब की तरफ।
और सुन... अब गौर से अपने दिल की धड़कन को,
जो बता रही है तुझे, ये बारिश की बूंदे कुछ अलग नहीं है तुझसे,
अक्स है ये तेरा ही...
जो पल-पल झर-झर के गिर रहा है,
और विचलित कर रहा है तेरे मन को,
सुन... इस मन की साजिश को सुन...
हां सुन! आज़ इस दीवानी बारिश को सुन।
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