बात तब की है जब मैं लगभग 6 या 7 साल का था और भाई की उम्र 9 वर्ष। एक दिन मैं और मेरा भाई विद्यालय जा रहे थे कि विद्यालय के रास्ते में पड़ने वाली एक मिल (खाली प्लॉट) में, जहां बंदरों का जमघट रहा करता था; से एक बंदर का बच्चा मेरे हाथ में लंच बॉक्स देखकर मेरी पीठ पर आ बैठा।उसे देखकर मेरी जान हलक में आ गई।
पर अचानक ही मेरे भाई को जाने क्या सूझा कि उसने उस बच्चे को उठाकर तुरंत ही मिल में फेंक दिया।
बस इसके बाद जो हुआ, हाल-बेहाल करने वाला था। उस बंदर के बच्चे की चीख सुनकर बंदरों की फौज दीवार पर आ खड़ी हुई।
और हम दोनों स्कूल की तरफ भाग लिए।
इतने में ही हमारे स्कूल का चपरासी हाथ में डंडा लेकर बाहर आया और तब जाकर बंदर भागे।
आज भी भाई की वह बहादुरी और वह घटना याद आती है तो हंसी भी आती है तो साथ ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
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