आज जैसे ही फेसबुक खोला
एक नोटिफिकेशन बोला
मित्रता का निमंत्रण सामने से आया था
देखकर खाली डी.पी थोड़ा सर चकराया था।
नाम देखा, सुकन्या थी, झट निमंत्रण स्वीकार किया
दिल गदगद हो गया था, और न कोई समाचार लिया
इधर निमंत्रण स्वीकार किया, इनबॉक्स में आगाज़ हुआ
हैलो, हाय से लव यू तक का, सफर मात्र दिन पाँच हुआ।
दिन छठा था, मिलने का अब दिन निश्चित एक करना था
तभी अचानक ही इनबॉक्स में, टूटा अश्रु झरना था
पूछा मुसीबत क्या हुई, ना-ना कर कई इंकार हुए
फिर संबल की बारिश में, प्रकट उसके उद्गार हुए।
गिरे पिताजी बाथरूम में, ऑपरेशन भी होना है
जरूरत पूरे दो लाख की, बस इसका ही रोना है
ना सोचा ना समझा बस खाता संख्या पूछा था
तुरंत ट्रान्सफर राशि की, आखिर दिल का सौदा था।
खाते से राशि कटने का ज्यों ही संदेशा आया था
फेसबुक ने ब्लॉक का नोटिफिकेशन दिखलाया था
वैलेंटाईन का वो दिन मेरा, मातम में तब्दील हुआ
ऑनलाइन का इश्क़ ये मेरा, यारों यूँ जलील हुआ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
🤣🤣🤣
😀😀😀
बहुत ख़ूब🤣
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