दोस्तों,
आज 5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
'एक व्यक्ति, एक वृक्ष' का शोर जोरों पर है।
चलो, मान भी लिया कि आज पर्यावरण दिवस के अवसर पर हमने-आपने एक पौधा लगा दिया और उसके साथ तस्वीर लेकर सब जगह पोस्ट भी कर दी। पर क्या यह पर्याप्त हैं? यकीनन आपका जबाब नहीं में होगा।
जरूरी नहीं है कि यह पौधा दिवस विशेष को ही लगाया जाए, अपितु जरूरी है कि चाहे पूरे साल में कभी भी पौधारोपण करें, उसकी देखभाल तब तक की जाए, जब तक कि वह अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए अर्थात् उसका तना मजबूत न हो जाए।
उसका पालन-पोषण अपने बच्चे की तरह किया जाना चाहिए।
मैं नहीं जानता कि आप और मुझमें से कितने इस बात का ध्यान रखते हैं, शायद पूर्णत: मैं भी नहीं। लेकिन एक कोशिश करने में हर्ज़ ही क्या है।
पौधारोपण को लेकर मैं पहले कभी गंभीर नहीं रहा किन्तु पिछले पांच सालों में इसके प्रति लगाव धीरे-धीरे बढ़ा।
अब घर पर, और विद्यालय में (मेरे कार्यस्थल पर) जब मैंने पहल की तो सभी इसके साथ जुड़ते चले गए। परिणामस्वरूप अब मुझसे ज़्यादा मेरे साथी इसके लिए प्रयत्नशील हैं।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता एक सोच है, जहाँ स्वयं को स्वयं के प्रति जागरूक रहकर समाज के लिए कार्य करना होता है।
हम सभी को इसी सोच के साथ आगे बढ़ना है और छोटा ही सही, अपना योगदान देना है। क्योंकि 'बूँद-बूँद' से ही घड़ा भरता है।
चलते-चलते...
"पहले रोपों, फिर पालो ; पौधा एक लगाओ
संरक्षण का ले संकल्प, जीवन सफल बनाओ।"
जय हिंद - जय भारत।
अजय गोयल
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