बेंजामिन फ्रैंकलिन

Originally published in hi
Reactions 0
661
Abhishek Singh Tomar
Abhishek Singh Tomar 17 Sep, 2019 | 1 min read

बेंजामिन फ्रैंकलिन


बेंजामिन फ्रैंकलिन का जन्म 17 जनवरी, 1706 को मिलक स्ट्रीट, बोस्टन में हुआ था। उनके पिता जोसिए फ्रैंकलिन जानवरों की चर्बी का व्यापार करते थे। जोसिए फ्रैंकलिन ने दो शादियाँ की थीं और उनसे जनमी 17 संतानों में बेंजामिन सबसे छोटे थे। 10 वर्ष की उम्र में ही उन्हें स्कूली शिक्षा समाप्त करनी पड़ी और 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने प्रशिक्षु के रूप में अपने भाई जेम्स फ्रैंकलिन के प्रिंटिंग प्रेस में कार्य करना आरंभ कर दिया। जेम्स फ्रैंकलिन द्वारा ‘न्यू इंग्लैंड कोरैंट’ नामक जर्नल प्रकाशित किया जाता था। आगे चलकर बेंजामिन उस जर्नल के संपादक हुए। लेकिन दोनों भाइयों में विवाद हो जाने की वजह से बेंजामिन वह काम छोड़कर न्यूयॉर्क चले गए और अक्तूबर 1723 में वे फिलाडेल्फिया पहुँचे। वहाँ शीघ्र ही उन्हें एक प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी मिल गई, जहाँ कुछ ही महीने काम करने के पश्चात् गवर्नर कीथ ने उन्हें किसी कारोबार के सिलसिले में लंदन जाने के लिए राजी कर लिया। किंतु लंदन पहुँचकर उन्होंने पाया कि गवर्नर कीथ के वादे खोखले थे और उन्होंने वहीं पुनः किसी प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी कर ली। बाद में डेनमन नामक एक व्यापारी के आग्रह पर वे फिलाडेल्फिया लौट आए और उसके व्यवसाय में हाथ बँटाने लगे। डेनमन की मृत्यु के पश्चात् उन्होंने अपना स्वयं का प्रिंटिंग प्रेस स्थापित किया और ‘द पेंसिल्वेनिया गजट’ का प्रकाशन प्रारंभ किया। उन्होंने उस पत्र में स्वलिखित अनेक निबंध प्रकाशित किए और उसे अनेक स्थानीय सुधारों हेतु आवाज उठाने का माध्यम बनाया। सन् 1732 में उन्होंने अपना प्रसिद्ध ‘पुअर रिचार्ड्स एलमैनक’ जारी किया, जिसके माध्यम से उठाई गई सारयुक्त आवाजों के कारण उन्होंने अच्छी ख्याति अर्जित की। 1758 में उन्होंने ‘अलमैनक’ में स्वयं के लेखों का प्रकाशन रोक दिया। उन्होंने उसमें ‘फादर अब्राहम सर्मन’ को छापना प्रारंभ किया, जिसे औपनिवेशिक अमेरिका में साहित्य का प्रसिद्ध हिस्सा माना जाता है। इस दौरान फ्रैंकलिन ने स्वयं को ज्यादातर जनता के मुद्दों से जोड़ लिया। उन्होंने एक अकादमी की योजना तैयार की, जिसे स्वीकार कर लिया गया। आगे चलकर यही अकादमी ‘यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया’ में तब्दील हो गई। वैज्ञानिक अनुसंधान से जुड़े लोगों द्वारा उनकी खोजों के विषय में चर्चा हेतु मंच तैयार करने की दिशा में उन्होंने ‘अमेरिकन फिलॉसफिकल सोसाइटी’ की स्थापना की। उन्होंने स्वयं भी विद्युत् से संबंधित अनेक अनुसंधान किए।

 

राजनीति में जहाँ उनमें एक कुशल प्रशासक की छवि देखी गई, वहीं नौकरियों में भाई-भतीजावाद जैसे मुद्दों के कारण वे विवादग्रस्त भी रहे। घरेलू राजनीति में डाक संबंधी सुधार उनकी सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण सेवा थी। किंतु एक राजनीतिज्ञ के रूप में ग्रेट ब्रिटेन एवं फ्रांस के साथ उपनिवेशों से संबंधित सेवाएँ उनकी प्रसिद्धि का प्रमुख आधार साबित हुईं। सन् 1757 में उपनिवेश की सरकार में पेंस के प्रभाव का विरोध करने के लिए उन्हें इंग्लैंड भेजा गया, जहाँ उन्होंने जनता एवं इंग्लैंड मंत्रालय को औपनिवेशिक दशाओं की जानकारी देते हुए पाँच वर्ष बिताए। अमेरिका लौटकर उन्होंने ‘पैक्स्टन मामले’ में सम्माननीय भूमिका निभाई, जिसकी वजह से उन्हें असेंबली में अपनी सीट भी गँवानी पड़ी। सन् 1764 में पुनः उन्हें उपनिवेश के एजेंट के रूप में इंग्लैंड भेजा गया। किंतु इस बार उन्हें राजा (किंग) से दलालों के हाथ से सत्ता छीनने हेतु अनुरोध करने का कार्य सौंपा गया था। लंदन में सक्रिय रूप से उन्होंने स्टैंप एक्ट (डाक अधिनियम) का विरोध किया; लेकिन अपने एक अमेरिकी मित्र को स्टांप एजेंट का पद हासिल कराने के सिलसिले में उन्हें इस श्रेय से हाथ धोना पड़ा। 1767 में जब वे फ्रांस से गुजरे तो उनका हार्दिक अभिनंदन किया गया। किंतु 1775 में अपनी स्वदेश वापसी से पूर्व ही व्हाकिंस एवं ओलिवर के ऐतिहासिक पत्र की जानकारी मैसाचुसेट्स को उपलब्ध कराने के आरोप में उन्हें पोस्टमास्टर की हैसियत से हटा दिया गया। फिलाडेल्फिया लौटने पर उन्हें ‘कांटिनेंटल कांग्रेस’ का सदस्य चुना गया और वर्ष 1777 में संयुक्त राज्य अमेरिका के आयुक्त (कमिश्नर) के रूप में फ्रांस भेज दिया गया। वहाँ वर्ष 1785 तक रहकर उन्होंने अपने देश का कामकाज बड़ी कुशलता एवं बुद्धिमत्तापूर्वक निभाया। अंततः जब वे स्वदेश लौटे तो अमेरिका की स्वतंत्रता के लिए जॉर्ज वाशिंगटन के बाद उन्हें दूसरा स्थान अर्जित करने का श्रेय हासिल हुआ। 17 अप्रैल, 1790 को उनका देहावसान हुआ।

0 likes

Published By

Abhishek Singh Tomar

ajay802317

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.