अब यह मान लिया है मैंने, कि प्यार एक धोखा है...
सुना था कि कुछ रिश्तो की उम्र ही छोटी हुआ करती है, तुझसे मिलकर अब यह मान भी लिया है। बस यह सोच कर तुझे जाने दिया कि अगर तुझे जाना ही होता तो आती क्यों? अब जो चली ही गई है तो अपनी यादें भी ले जा न, यह एहसान भी क्यों आखिर मुझपर?
अब तो हंँसी आती है मुझे अपनी किस्मत पर, जिसे बेइंतेहा चाहा उसी से बेवफ़ाई के तोहफे कुछ ज्यादा मिले। खैर, कोई बात नहीं तुझसे जो मिला है यह दर्द भी किसी ईनाम से कम कहाँ?
यार पर कितनी नादान है न तू, सुना है, मुझसे दूर होकर भी मेरे जैसे ही किसी को ढूंढ रही है। यही शिकायत थी न तेरी मुझसे, कि मैं मुस्कुराता क्यों नहीं? अब हर पल तेरी याद में यही सोच कर मुस्कुराऊंगा कि यह दो पल की झूठी मोहब्बत मुझे जिंदगी भर का सबक दे गई।
आजकल उसके हाथों में जो हाथ डाल कर घूमती है न तू, तो एक बात यह भी जान ले कि, " है रूह को भी समझना जरूरी महज़ हाथों को थामना साथ नहीं होता।" खैर मेरा प्यार तो सच्चा था, तुझे इसकी कदर ना हो सकी तो इसमें बदकिस्मती किसकी, मेरी या तेरी? पर अब मोहब्बत की उम्मीद मत रखना मुझसे, बस यही कहूँगा कि,
" वफ़ा पर आज भी कायम हूंँ लेकिन
अब मोहब्बत छोड़ दी है मैंने। "
और क्यों करूं मोहब्बत आखिर?
अब तो मान लिया है मैंने, कि प्यार एक धोखा है।
-अभिषेक
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