मुझसे कोई पूछता है तुम्हारे बारे में, तो मैं जवाब देता हूँ कि...,
जून की गर्मी में , ठंडी बयार हो तुम,
सुलगती धरती पर , हल्की बौछार हो तुम,
किसी भूखे की थाली में , सम्पूर्ण आहार हो तुम,
व्यापार की मंदी में , खुला बाज़ार हो तुम ,
डहती हुई बस्ती में , खड़ा मीनार हो तुम,
गम के आंगन में , खुशियों का त्यौहार हो तुम,
हिज्र की रुत में , दिलकश दीदार हो तुम,
किसी अनाथ के जीवन में , मांँ का दुलार हो तुम,
एक जटिल कहानी का , सरल सार हो तुम,
किसी ठोस चट्टान पर , पड़ी दरार हो तुम,
एक विधवा के अक्स पर , सोलह श्रृंगार हो तुम,
किसी नवजन्मे बच्चे की , पहली पुकार हो तुम,
ढ़लती उम्र में भी , सदाबहार हो तुम,
ये दुनिया है नफ़रत की..., एक सच्चा प्यार हो तुम ।
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