मतलब से बनी कश्ती कभी मंज़िल तक पहुँचती नहीं ।
रुख वो कर भी लेे साहिल का मगर , ख़ुद मुकाम को वो कश्ती जंचती नहीं।
© *आयशा इमरान*
jo log matlab se miltey h unpr hai ki ap soche ki har kisi ko matlab se yaad krege aur kam nikltey rhe pr aisa nh
मतलब से बनी कश्ती कभी मंज़िल तक पहुँचती नहीं ।
रुख वो कर भी लेे साहिल का मगर , ख़ुद मुकाम को वो कश्ती जंचती नहीं।
© *आयशा इमरान*
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