बोतल का किस्सा😓

Acid victims ka dard

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Aisha Imran
Aisha Imran 12 Jun, 2020 | 1 min read

एक बोतल खुली,

चंद बूंद गिरी ,

बदल गई मेरी कहानी 

ना वो  पहचान रही

ना वो  जिंदगानी मेरी

 लोग डरने लगे देख कर मेरा चेहरा सुनके मेरी जुबानी।


 क्या कसूर था मेरा ।

 पढ़ना और बढ़ना गुनहा बन गया मेरा 

 मेरे और मेरे मां-बाप के सपने से वह खेल गया।

 कुछ बूंदे फेंके मुझे अंधेरे में वह ढकेल गया।


 क्यों कुछ बूंद मेरी ले मेरा साज तोड़ गई,

 पूरे होते होते ख्वाबों को पीछे छोड़ गई।


 पहचान छीन कर वो आजाद है आज भी 

 और क्यों आज भी मैं उसी बोतल में कैद हूं ।

और समाज की नजरों में बर्बाद।

    Aisha Imran

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Aisha Imran

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