Aisha Imran
Aisha Imran 09 May, 2021
माँ
टूटा है राब्ता तुझसे ज़रूर, पर तू आज भी मुझे में कहीं बस्ती है, मेरी हर आह में कहीं ना कहीं रचती है, ना देख पाती है आँखे तुझे आज ज़रूर, पर मेरे हर अहसास में तू आज भी बस्ती हैं तू आज भी बस्ती है।।💔💔

Paperwiff

by aishaimran

09 May, 2021

💔

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