ज़िन्दगी

Motivational poem

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ADITYA soni
ADITYA soni 08 May, 2021 | 1 min read

सुख खड़ा इस पार है ,दुख खड़ा उस पार है 

ज़िन्दगी बहती हुयी इक नदी की धार है

है पथिक ठहरा हुआ,पर हौसला ये साथ है 

मंजिलें रुठी तो क्या? रास्ता तो साथ है 

है सघन जो दुख के बादल,बाजुओं से छाँट दो 

बनके अविरल रास्ते की,हर बला को लाँघ दो 

चलते रहो;बढ़ते रहो,यह ज़िन्दगी का सार है 

ज़िन्दगी बहती हुयी इक नदी की धार है ।

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