एक सुबह जो की जुलाई की सबसे खूबसूरत और शायद मेरी जिंदगी की भी । सुबह 5बजे उठा और हाथ -मुँह धोने के बाद, चार भीगे हुए चने के दाने मुह में चबाते हुए ;स्कूटी निकाल रहा था कि माँ की आवाज आई कुछ खाया और मेरा वही पुराना जवाब हाँ ,ठीक है अच्छे से जाना कहकर; माँ काम मे लग गयी।
स्कूटी का सेल्फ मारकर चल दिया उस mathe को पढ़ने जिसको पूरी दुनिया पढ़ना चाहती है ।ठंडी -ठण्डी हवा के हिलकोरे शरीर में माघ की ऋतु ला रहे थे। छोटा सफर तय हुआ और कोचिंग आ गयी; जहाँ उस मैथ को सुलझाना था या उसमे उलझना था ।कोचिंग के बाहर स्कूटी खड़ी किया और सीट पर बैठ गया, कि तभी एक दोस्त पास आया और बोला "कोचिंग के अंदर चलोगे" मैंने सुनते हुए भी ; जवाब नही देना चाहा।
उसने फिर से तेज आवाज में कहा "चलना" ,इसमे सायद अपनापन था ।मैं कोचिंग की ओर जाने लगा कि; तभी सामने रोड से एक सायकल लिए कोई आता हुआ दिखा मैं ठहर गया , क्यों की सायद "वो" थी। उसको देखते ही दिल ने थोड़ा मुस्कुराया और चेहरा भी , नजर भी मिली पर सिर्फ पलक झपकने तक।
ख़ैर!
कोचिंग में enter करते ही पता चला कि ;आज तो सर हैं ही नही । अच्छा लगा पर बुरा भी।
अच्छा इस बात का ,की कोचिंग नही लगी और बुरा इसलिए कि आज "वो" जल्दी चली जयगी।
सब घर चल दिये पर मेरा मन अब भी वहाँ रुकना चाहता था । लेकिन दोस्ती भी तो की थी चलना ही पड़ता । आज मौका अच्छा था अपने like को इजहार करके love में बदलने का , दिल में गुबार उठा तो पर बैठ भी गया । मैं और मेरे दोस्त अपने रास्ते चल दिये और" वो " अपने रास्ते । कुछ दूर पहुचे ही थे की दोस्त ने बोला ,भाई जा आज बोल दे; सुनते ही दिल मे तूफान सा उठ गया ,मानो आग में पेट्रोल डाल दिया हो किसीने । स्कूटी घुमाई और चल दिया अपनी personal math के पीछे ।आज तो स्कूटी में भी रॉयल एनफील्ड वाली फीलिंग आ रही थी ।
मैंने उसे पीछे से आवाज दी रुको,जैसा होता है वो रुक गयी ,फिर क्या था चालू हो गयी mathe ।
यार तुम मुझसे बात ही नही करती ,
जवाब- लोग गलत समझने लगते हैं इसलिए
अच्छा!
जवाब-हां
उसने पूछा -तुम्हारा दोस्त किसको लाइक करता है जानते हो ,
जानते हुए भी मैंने कहा -नही
वैसे तुम किसीको लाइक करती हो ,ऐसा मैंने पूछा ,
जवाब- मुझे ये सब पसंद नही । दिल को थोड़ा धक्का लगा, पर खैर छोड़ो।
उसने कहा चलो chemitry वाले sir से पूछ के आते हैं ,कोचिंग कब से स्टार्ट करेंगे वो ।
मेरे math की कोचिंग से थोड़ी ही दूर पर केमिस्ट्री की coaching थी ।
मैंने
कहा चलो ;sir से बात करने के बाद बाहर आते हुए हम खामोश थे इसलिए नही की ;कोचिंग स्टार्ट नहीं हो रही ,बल्कि इसलिए की एक-दूसरे से number सबसे पहले कौन मांगेगा ,उम्र 17 थी ;दोष हमारा भी न था। ठीक है byy जा रहा हूँ ,कहते हुए स्कूटी पर बैठा ही था कि ; आवाज आई, "अपना नंबर दो ना"
बिना किसी सवाल के उसके रफ़ के अंतिम पन्ने पर नंबर लिख दिया , और byy कहते हुए चला आया ।
नंबर दिया था रात को call का इंतजार करना तो लाज़मी था ,पर मेरा इंतजार ; इंतजार ही रह गया ।पर
इसके अगले दिन call आया
मैं -hloo
वो-कैसे हो
मैं-call क्यों नही किया था तुमने ?
वो-sorry
मैं-किसीको लाइक करती हो ?
वो-हा तुम्हे ,और तुम ?
मैं- तुम्हे ही
अब इस math को सुलझाकर भी ; जैसे
मैं उसमे उलझता ही जा रहा था ।
आखिर इश्क़ जो हो गया था ।
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