मजहबी सियासतदारों ने

धर्म की जो नई परिभाषा हम सियासतदारों ने सिखाई, उसको चित्रित करती मेरी एक रचना

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Adhoore Alphaj
Adhoore Alphaj 29 Dec, 2020 | 1 min read
Religious

धर्म को रंगो में बांट डाला कुछ धर्म के रखवालों ने

धर्म को दंगो में कांट डाला कुछ धर्म के पहरेदारों ने

गीता कुरान, बाइबल छुड़वा दी,धर्म की नई परिभाषा ने

लहूलुहान कर डाला इंसान को, मजहबी अभिलाषा ने

परिंड तक तोड़ डाले परिंदो के इस मजहबी तूफान ने

भगवान की लालसा में इंसान को मार डाला इंसान ने

धर्म को कठपुतली बनाया, मतलबी सियासतदारों ने

इंसान से इंसान मरवाया ,मजहबी सत्ता के गलियारों ने

प्रेमचन्द के ईदगाह, और कबीर के दोहे दंगो मे जलाए जाते है

गंगा जमुना तहजीब पर मजहबी सियासत के बाण चलाए जाते है

कही मंदिर की आरती में कही मस्जिद की अजान में चीखे दबाई जाती है

अब हर चौखट पर खुदा की,इंसानियत की सीखे भुलाई जाती है

अभी वक्त है सम्भल जाओ, वरना ये मजहबी मंसूबे, पेड़ पानी पवन सब बांट डालेंगे

सोचो क्या बचेगा इस संसार में, जो हम इंसान ही इंसान को काट डालेंगे

लिखता हूं आखिरी पंक्ति, के मजहब काश ना हिन्दू ना मुसलमान होता

सोचता हूं क्या खूबसूरत होता जो ना अल्लाह ना भगवान होता बस सिर्फ इंसान होता -२

अधूरे अल्फाज

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Adhoore Alphaj

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