डॉ भीमराव अम्बेडकर

भारतीय संविधान के जनक "बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर एक महापुरुष।"

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Abhishek Singh
Abhishek Singh 30 Dec, 2019 | 1 min read

पूरा नाम- भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ।

जन्म- महू

आज मैं जिस व्यक्ति के बारे मे आपको बताने जा रहा हूँ ,उस व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन संघर्षो मे बीत गया। हम उनके कुछ विचारो और कार्यो के बारे मे संक्षिप्त मे जानेंगे।

डॉ भीमराव अम्बेडकर , जिन्हें "बाबा साहेब" नाम से लोगों द्वारा पुकारा जाता है, भारतीय संविधान के निर्माता थे। उन्हे "भारतीय संविधान का पिता" भी कहा जाता है।

बचपन मे ही उन्हे समाज मे प्रचलित बुराई का आभास हो गया था । वे महार समाज से थे।

उन्हे पढने का अबसर पिता की नौकरी के कारण मिला था। आगे की पढाई उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से की और लॉ की डिग्री प्राप्त की।

वे जीवन भर समाज के कमजोर वर्ग के अधिकारो के लिए लड़ते रहे। समाज मे समानता लाना उन्होंने अपना प्रथम कर्त्तव्य समझा ।

सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों को समाप्त करने के प्रयत्न वे लगातार करते रहे ।

कमजोर वर्ग की महिलाओं की स्थिति मे सुधार के लिए "हिन्दू कोड बिल " जैसे कानून बनाने हेतु कार्य करते रहे।

इस कमजोर वर्ग को "कालाराम मंदिर "मे प्रवेश से लेकर पानी पीने के "महार सत्याग्रह "तक अनेक प्रयत्न करते रहे ताकि उनका भबिष्य सुरक्षित हो।

वे हमेशा कहा करते थे कि, "शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो"। वे चाहते थे कि समाज का हर वर्ग समान हो। इस हेतु उन्होंने संविधान मे आरक्षण की व्यवस्था की। आरक्षण की व्यवस्था करने का उददेश्य केवल उस वर्ग का उत्थान करना था।

उनका जीवन संघर्षों से भरा था। उन्होंने अपनी कमेटी जिसे "प्रारूप समिति " कहा जाता था ,के साथ मिलकर 168 देशौ के संविधानौ का अध्ययन किया फिर भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार किया ।

आगे चलकर वे स्वतंत्र भारत के कानून मंत्री बनाए गए। उनमें गजब की प्रतिभा थी,जिसके कई लोग कायल थे।

यह बाबा साहेब के जीवन पर एक संक्षिप्त लेख है।

उनके जीवन से जुड़ी अन्य बातों की जानकारी मैं अपने लेखौ के माध्यम से आप तक पहुंचाता रहूँगा।

कुछ पंक्तियाँ-

"अभी तो बस चलना सीखा है, अभी तो उडान बाकी है

अभी तो गगन का बस एक कोना देखा है, अभी तो पूरा आसमान बाकी है।"

-अभिषेक सिंह

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