बोयें बीज कांटो के उम्मीद मे कि खिलेंगे फूल बांटे दुख दिल तोडकर उम्मीद मे कि रिश्ते जुडगे करते रहे गुणगान सिर्फ अपने कामों का उम्मीद मे कि लोग बाह बाह करेगे जलते रहे दूसरों की खुशी से उम्मीद मे कि बह दुख मे खडे मिलेंगे दी नही छाया किसी को कभी उम्मीद मे कि लोग काटेगे नही जड़ो को
उम्मीद मे।
Based on Self center hope ..
Originally published in hi
Abhilash Shrivastava
21 Sep, 2020 | 1 min read
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Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Well penned 👏 👏
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