खिलोने की टोकरी

Poetry based on truth and sattire

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Abhilash Shrivastava
Abhilash Shrivastava 21 Sep, 2020 | 1 min read

खिलोने की टोकरी में ।

कितने सुंदर 
भांति भांति के 
रंग बिरंगे खिलौने है
खिलौने की टोकरी में

कुछ सीधे सादे और मासूम 
कुछ दिखाते करतब 
लगाते चक्कर आगे पीछे 
निकालते तरह तरह की आबाज
एक बटन दबाने से

कुछ बदलते रंग 
कुछ नाचते डुगडुगी बजाते 
ताली बजाते हस्ते रोते
सिर्फ एक अंगुली के इशारे पर

कुछ आधुनिक उड़ते 
आसमान में और 
चलते बहुत तेज 
अपनी क्षमता से ज्यादा

टूट जाते एक दिन
बिखर जाते पुरजे 
जोड़ा ना जा सका उनको फिर
खत्म हो जाती उनकी अहमियत 
कर दिया जाता है उन्हें अलग

और आ जाता एक नया खिलौना
खिलोने की टोकरी में ।


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Abhilash Shrivastava

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