बात आज से कई सालों पुरानी है,राजस्थान तब राज्य ना होकर कई रियासतों में बँटा था | उन्ही में से एक रियासत थी मारवाड़ | मारवाड़ रियासत के एक छोटे से गांव में रहती थी 'हरखी दादी' | उमर होगी कोई सत्तर या फिर अस्सी साल के आस पास | उस ज़माने में कोई आधार कार्ड तो होते नहीं थे जो सही उम्र का पता चल जाये | झुर्रियों से भरा चेहरा, सफ़ेद झक रुई से बाल और झुकी हुई कमर यही निशानी थी हरखी दादी की |
गांव में जहाँ उनके उम्र की औरतें जहाँ बिस्तर पकड़ चुकी थी वही हरखी दादी एकदम चुस्ती से सारा काम करती थी | गांव के बूढ़े से लेकर बच्चे तक सब उन्हें हरखी दादी ही कहा करते | बारह बरस की उमर में ब्याह करके आयी थी गांव में, गांव की बिंदनी ( बहू )थी वो इसलिए हर समय पल्लू से घूँघट काढ़ (निकाल )कर रखती थी |
दादी की अपनी कोई औलाद नहीं थी उनके पति भीमा दादा गांव के वैद्य थे | उनके साथ रह रह के दादी को भी औषधियों की काफ़ी जानकारी हो गयी थी | दादा अकसर दादी को अपने साथ जंगल ले जाते जड़ी बूटीयाँ लाने | एक दिन दादा जड़ी बूटीयाँ लाने जंगल गए वहां पहाड़ी से पैर फिसल गया और नीचे गिरते ही उनकी मौत हो गयी | दादा के जाने के बाद दादी अकेली रह गयी लेकिन हिम्मत नहीं हारी | उन्होंने दादा का काम संभाल लिया लोगो को दवाइयां देने लगी | उनके दवाई से लोग ठीक होने लगे तो सबने उन्हें गांव के वैद्य के रूप में स्वीकार कर लिया | सब लोग उनका खूब सम्मान करते गांव की औरतें हर समस्या में उनकी सलाह लेने आती | कुछ लड़के उन्हें छेड़ते - हरखी दादी सा, अब थे डोकरा (बूढी) हो गया हो | हमे काम कारणों आपरे बस की बात कोनी | दादी तुनक पड़ती - जा रे छोरा डोकरी होवेली थारी दादी, मै तो अभी तक जवान हूँ | थारे जिसे ने तो अबार उठाने पटक देऊ |
सही कहवो हो दादी थे, हाल तक थाकि उमरी ही कई है |हाल भी इत्ता फुटरा (सुन्दर) लगो हो थे - कहकर लड़के हँस पड़ते |
दादी आगे बढ़ जाती |
एक दिन दादी घर में आराम कर रही थी तभी हरिया दौड़ता हुआ आया | दादी दादी जल्दी चलो दादी वो वो...
कई होयो हरिया,इत्तो उतावलो क्यूँ हो रियो है ? दादी बोली |
दादी वो रामली वो रामली रे ठीक नही है थे चालो |
दादी परेशान सी हरिया के पीछे चल दी |जाकर देखा तो रामली खाट पर पड़ी है बेसुध जगह जगह घाव के निशान और पूरा घाघरा खून से सना हुआ है |दादी को समझते देर नहीं लगी की क्या हुआ है |
कोन करियो ऐ काम इरे साथे | दादी रुआँसी होकर बोली |
और कोन कर सके है वो ही जल्लाद ठाकुर वीरपरताप | रामली की माँ चीख पड़ी |
महारी छोरी पर कब से नजर थी उसकी | आज मै और रामली के बापू घर पर ना थे मौका देखकर उठा ले गया म्हारी छोरी को |
दादी ने रामली को औषधियाँ दी और उसके घावों पर मलहम लगा कर वापस आ गयी |
लेकिन उनका मन अंदर ही अंदर तड़प रहा था इस से पहले भी गांव की कई सारी लड़कियों को वो अपना शिकार बना चुका था | पन्नी और वीरी ने तो आत्महत्या भी कर ली थी उसके हाथों अपनी इज्जत खोने के कारण | दबंग ठाकुर के खिलाफ आवाज़ उठाने का साहस किसी के पास नहीं था | दादी ने गांव वालों से ठाकुर के खिलाफ आवाज़ उठाने की बात की लेकिन डर के मारे कोई दादी का साथ देने को तैयारी नहीं था | हारकर दादी ने खुद ही उस राक्षस के खिलाफ कुछ करने की ठानी | दादी जंगल जाकर कुछ जहरीली जड़ीबूटियां लायी और एक कटार पर उन जहरीली बूटियों का जहर लगा लिया |
अपनी पोटली में कुछ सामान डालकर चल पड़ी ठाकुर की हवेली की तरफ | बाहर खड़े दरबान ने टोका - रे डोकरी, कठे जा रही है?
भैया ठाकुर साहब वास्ते औ तेल लायी हूँ सुनो है उनके हाथ में दर्द रेहवे है दादी बोली |
रुक मै ठाकुर सा ने पूछ कर आऊं -दरबान चला गया |
कुछ ही देर में जाकर वापस आया और उसे जाने का इशारा किया |
अपनी लाठी टेकती हुई दादी अंदर गयीं |
खम्मा घणी अन्नदाता - हाथ जोड़कर बोली |
के बात है डोकरी, के ल्याई है महारे वास्ते - ठाकुर बोला |
अन्नदाता पतों पड़ो की आपरे हाथ में दर्द रेवे है, आ खास जड़ी बूटियों सु बनो तेल लायी हूँ आपरे वास्ते | इने लगाते ही आपरी हर तकलीफ मिला जासी | दादी बोली |
वाह ! ल्याई है तो लगा दे आपरे हाथ से - ठाकुर ने हाथ आगे करते हुए कहा |
दादी हाथ पर तेल लगाने लगी लगाते लगाते उसने झटके से ओढ़नी में छिपायी जहर वाली कटार निकाली और घोंप दी ठाकुर के सीने में आज दादी रणचंडी लग रही थी | खून की एक धार निकली और ठाकुर वही ख़त्म हो गया |
धायययय की एक आवाज़ गूंजी और ठाकुर के नौकरी की गोली दादी के सीने को पर करती हुई निकाल गयी | दादी वही ढेर हो गयीं | ठाकुर के आतंक का अंत हो चुका था | गांव वालों को खबर लगते ही ठाकुर की हवेली पर सबने कब्ज़ा कर लिया | दादी ने अपने ' स्त्री जीवन का अंतिम पड़ाव ' बड़े साहस से पार कर लिया था | अपने लक्ष्य की राह में उन्होंने ने अपनी उम्र को नहीं आने दिया | गांव वालों ने दादी का अंतिम संस्कार करके उस जगह पर एक मंदिर बनवा दिया ' हरखी दादी ' का मंदिर |
गांव की औरतें आज भी हरखी दादी के नाम का ताबीज़ पहनती है क्यूँकी उन्हें विश्वास है की हरखी दादी आज भी हर मुसीबत से उनकी रक्षा करेंगी |
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.