प्रेम
हे प्रिय, मैं मेरे इस प्रेम को स्थगित करता हूं..
मैं पहले मर्यादा का साधक हो जाऊ, तब तुम्हारे प्रेम की साधना संभव हो पाएगी., किन्तु तुम अपना प्रेम स्थगित मत करना क्योंकि तुम्हारा प्रेम ही मेरे साधना का साधन है..
आदि रमानी ✍️
Paperwiff
by aadiramani3