दृष्टिगोचर
प्रभा मानो हम ही तीनों के नयनों में बसेरा किये हुए थी जब हम उस सदानीरा के तट पे एक दूसरे का हाथ थामे खड़े थें। मैंने सत स्वरूपी विभा देखी और मनस में चाव भरी मद भाव लिए उनकी तरफ़ आत्यंतिक सुख से झाँकना चाहा, मालूम हुए वो दृष्टिगोचर सृष्टि केवल मेरे नही., हमारे लिए थी।
आदिरमानी✍️💫
Paperwiff
by aadiramani1