हर एक पहर बरस तु तुझमें,
निर्मल अविरल जल संधि हो
मन वचन सब सरस हो तुझमें
पावन कोमल थल संधि हो।।
नाद सृष्टि का गरज हो तुझमें,
हर क्षण मधुर सरल संधि हो
मातृ शक्ति सब वर देवे अब,
हर हर हर हर स्वर संधि हो।।
मानव जागो अब रजनी में
हर पल तुममें हर संधि हो
सृजन प्रलय के हो दृष्टा अब,
अग्नि अंत: करण संधि हो।।
आदिरमानी💫✍
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
bahut badiya
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