बात कुछ आज से 1 साल पहले की है जब सफर घर वापसी की ओर था। जिसकी शुरूआत बिहार के एक स्टेशन से हुई और दिल्ली की तरफ चली। सफर बहुत अच्छा चल रहा था। अचानक एक आदमी ट्रेन मे आता है और सामने की सीट पर बैठता है हम दोनो मे बातचीत भी अच्छी हो रही थी पर अंदर से उसके परिणाम क्या है यह वहाँ बैठा कोई व्यक्ति नही जान सकता था।
शाम धीरे-धीरे ठलती जा रही थी,और अंधेरा होता जा रहा था। सामने का व्यवहार भी साथ मे बदलता जा रहा था। सभी खाना खाकर सोने की तैयारी मे लग जाते है,और ट्रेन अपनी स्पीड से चलती रहती है। रात के अंधेरे मे वह आदमी सबकी नजरो से जो खुद को दूर समझ रहा था वह वहाँ सो रही माँ,बहन के ऊपर हाथ फेरने लगा शायद वह सब से अंजान था कि कोई यह सब महसूस कर रहा या देख रहा है।
जैसी ही यह ख़बर उसे पता लगती है वह वहाँ से भागने लगता है पर चलती ट्रेन से कोई कैसे भागता जो गलती उसने की वह उसे बहुत भारी पड़ने वाली थी अब।
क्योकि आज समाज मे ऐसी घटनाओ ने देश को बहुत पीछे कर दिया है लेकिन वह बच्ची जिसने यह सब देखा वह बहुत बहादूर थी और यह सब मेरी नजरो के सामने हो रहा था जैसा आदमी वह लग रहा था वैसा वह नही था इस बात से पता लगा। कि ट्रेन के सफर मे सभी एक जैसे नही होते हमे सावधानी के साथ अपना सफर करना चाहिए।।
-उदित जैन
@imuditjain
@_uduaash_ink_
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