ना होना चाहू किसी की तस्वीर अब,
छोड़ दे मुझे सोचना सपनो की लकीर अब।।
जब लगता कुछ पास मेरे आना वाला है,
सब रिश्ते तोड़ लगते है मुझे फकीर अब।।
सोचकर दीमाग पर असर होने लगा,
लगता नही है बदले तकदीर अब।।
दुख होता है छोड़कर साथ जो गये,
पास होने वालो को अपना मत स्वीकार अब।।
सह गये दर्द जीवन के खुशी-खुशी,
नही रहना अब किसी की जंजीर अब।।
लिखकर बात कहना अच्छा लगता है,
उदित ही ठीक हूँ लगता नही अच्छा कबीर अब।।
-उदित जैन
@imuditjain
@_uduaash_ink_
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
वाह
शुक्रिया जी 😍😍
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