गुरू मेरे मीत है,
प्रीत है,गीत है,
संसार है मेरे
इस धरा पर जहाँ,
जीवन एक बूंद के समान है।।
प्रकाश है,ज्योति है,
सांस है,आस है,
गुरू ज्ञान गुरू ही मेरी प्यास है,
गुरू संसार है,गुरू गीत,
गुरू ही संगीत है,
गुरू ही समंदर की लहरो जैसे ज्ञान की बहार है।।
गुरू मेरे अंदर है,गुरू मेरे प्राण है,
गुरू मेरा संबल,गुरू मेरा आंलबन है,
गुरू धर्म, गुरू कर्म,गुरू मर्म,गुरू नर्म गुरू ही मेरा दर्पण है,
गुरू की अराधना करते तब गुरू से मिलता हमे समाधान निरंतर है।।
गुरू सगुन,गुरू निगुर्ण,गुरू आदि,गुरू ही आदिअन्नत है,
गुरू विलय,गुरू जप,गुरू तप,गुरू ही यज्ञः है,
गुरू समिध,गुरू समिधा,गुरू मेरी आरती,गुरू ही भजन है,
गुरू साज, गुरू वाघ,गुरू ही वन्दना,गुरू मेरा आलाप है।।
जग से प्यारे मेरे गुरू है,
जिनका चिंतन,मनन,प्यार,दुलार,समय पर मिलता है,
गुरू की महिमा,गरिमा,सब हर पल बरसती है,
गुरू मेरे अमृत,गुरू मेरे पाहुना है,गुरू ही उपासना है।।
गुरू इस जहां की मंजिल गुरू ही संसार है,
गुरू ही समष्टि,गुरू ही व्यष्टि,गुरू ही सृष्टी है,
गुरू जैसा इस संसार मे न कोई सपना है,
न यहाँ पर मेरा कोई अपना है।।
मेरे गुरू ही यहाँ इस जहां मे जहाँ वो वही मेरा अपना है ।।
-उदित जैन
@Imuditjain
@_uduaash_ink_
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुंदर गुरु की व्याख्या👌👌
वाह
गुरूदेव को सादर चरणस्पर्श
आचार्य श्री के चरणों में बारम्बार नमन🙏🙏🙏
शुक्रिया दोस्तो इस प्यार के लिए 🙏🙏🙏
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