एक मजदूर

किसान हूँ भारत का मै

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udit jain
udit jain 08 Jun, 2020 | 1 min read
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परिश्रम का चूल्हा,

एक-एक घर जलता,

हर रोज किसान है,

आत्महत्या करता।।


दो समय की रोटी,

भूखा न रखता कभी,

श्रम करता रात-दिन,

स्वेद छोड़ता हर पल।।


परिश्रम से अपने वह,

खेत को भिगोता,

हर रोज किसान है,

आत्महत्या करता।।


अन्नदाता है जो,

भगवान का रूप ,

कर्ज मे है जीवन,

संवरे दूसरे का जीवन।।


खुद कुर्बान करता,

अपना वह जीवन,

अन्न हो खेतो मे,

प्रयास करता हर पल।।


हर रोज किसान है,

आत्महत्या करता।।


-उदित जैन

(Delhi)

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udit jain

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