शस्त्र मद मै श्मशान हूँ,
प्राण लेती वह समान हूँ।।
प्यारी हूँ जो छोड़ते नही,
रिश्तो को दूर करता इंसान हूँ।।
घरो को तोड़ती हूँ मै सबके,
गांजे की लत से लेती जान हूँ।।
हड्डीयो को करती कमजोर हूँ,
सांसो मे मिलकर लेती प्राण हूँ।।
गुटका,शराब,चिलम,हुक्का से,
जीवन बर्बाद कर जाती श्मशान हूँ।।
परिवार को रोता छोड़ अपने,
नशे की लत मे पहुँचता श्मशाम हूँ।।
-उदित जैन
@imuditjain
@_uduaash_ink
Comments
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संदेशप्रद सृजन
शुक्रिया भैया 🙏🙏🙏
Nice
शुक्रिया जी 🙏🙏🙏
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