2 माह भगवान तेरा दर कितना सूना सूना था,
धूल जमी थी उस घर मे जहाँ हर पल तुमको पाये थे।।
सुख-दुख मे जिसने याद हमेशा उन्हे किया,
आज हाथ बांध दिये उसी भगवान ने जिसको है सबने अपना मना।।
देख भगवान को निकल गये आंसू,
जिस पथ पर चलना उसने हमे सिखाया था।।
कैसे करूँ मै वर्णन उस पल का,
हर पल जब मैने आंसू बहा था।।
अब मत देना मेरे भगवन ये दुबारा,
जिस पल तुझे तरसे ये आंखियाँ दुबारा।।
-उदित जैन
@imuditjain
@_uduaash_ink_
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