चिठ्ठी का जमाना कहाँ है,
जो मिल जाये कोई तार यहां,
साईकिल वाली वह सुबह कहाँ है,
दिखती नही अब दोस्तो की दौड़ यहां।।
मिलन सार जमाना खत्म हो गया,
कैसे होगें दोस्त अब यह सोच रहा,
मिलना यहाँ अब बहुत दूर हो गया,
याद कौन करता अब बेमतलब मै देख रहा।।
जीवन कहानी बन गई किताबों की,
देख दूसरो की परेशानी हँसता संसार यहां,
बिकती है इंसानियत यहां इंसान की,
समझता नही फिर भी कोई कीमत यहां।।
मिलने का जमाना अब बंद हो गया,
देख दूसरो की खुशी इंसान खत्म हो गया।।
-उदित जैन
@imuditjain
@_uduaash_ink_
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
ये कविता का कौन सा रूप होता है
Iska pattern abab,cdcd,efef and gg krke hota h jisme 14 lines hoti h
Nice
Thank you
Please Login or Create a free account to comment.