कितना आसान होता है,
किसी मुद्दे पर दूसरो को ज्ञान देना।।
कितना दबाव होगा उस पर,
आसान नहीं खुद की जान देना।।
बाहर से हमेशा खुश दिखने वाला,
ना जाने क्या क्या झेल रहा है।।
ना जाने किस किस को सहन करके,
ज़िंदगी से वो खेल रहा है।।
नेता हो या अभिनेता हो,
ये तो जीवन का महज एक खेला है।।
जीवन के सफर में ना कोई साथी है,
बस हर शक्स खुद में यहाँ अकेला है।।
रोने से दिल हल्का होता,
पर लोग समझते उसको कमज़ोर है।।
साफ दिल के होते है ऐसे, दिल दिमाग पर कम पड़ता जोर है।।
क्यो खोते हो ऐसे जीवन अपना,
जो बहुत मुश्किलो से मिलता है।।
धन्य है माँ बाप जो घर में, तुम्हे देख के जी खिलता है।।
आदमी तो चला जाता है,
बस दो दिन ही बात होती है।।
घर मे जिनके लिए,सब कुछ था,
उनकी आत्मा बहुत रोती है।।
-उदित जैन
@imuditjain
@_uduaash_ink_
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