चिंतन

चिंतन से निकले कुछ ऐसे विचार जहाँ से भीतर से खुद को और शरीर को जानने को मिला

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udit jain
udit jain 29 Jun, 2020 | 1 min read
selfmood life



हूँ नही मै वो जो दिख रहा,

नजर से सबकी मै दूर ही रहा,

कहाँ से आया मैने नही जाना,

चेतन को बस तन मे समाया।।


छूटा जो अब मेरा नही वह,

बंधन से छुटकरा अब पाया,

मेरे भी थे सपने सबकी तरह,

रही नही अब उनकी जरूरत।।


अपने का मुझको पता अब मिला,

तब से ही मै बहुत सुख पा रहा,

मुश्किल डगर भी आसान लगती,

समझकर खुद छुटकरा पा रहा।।


मेरा लक्ष्य मेरे सामने है,

पाया नही जो वह अब पा रहा,

एहसास कैसा यह हो रहा है,

जो केवल मुझे समझ आ रहा है।।


दूर है जो वह दूर ही रहेगा,

अपने को मै अपने मे पा रहा,

लोग आते-जाते रहेंगे यहाँ सदा,

मै जिया कैसे पूछेंगे सर्वदा,

मृत्यु उत्सव मनाओ तुम हमेशा।।


न मर रहा मै इस बार यहाँ,

जग से जाकर अब मुक्ति पा रहा,

हूँ नही मै वो जो दिख रहा,

नजर से सबकी मे दूर रहा।।


-उदित जैन

@Imuditjain

@_uduaash_ink_

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udit jain

_uduaash_ink_

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    वाह

  • udit jain · 4 years ago last edited 4 years ago

    शुक्रिया भैया 🙏🙏🙏

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