जीवन के जो अंतिम क्षण तक थी जो मेरे साथ,
है परछाई जो देती कभी न मरने के बाद साथ।।
अंधेरों मे जो सबको डराती करती न भेदभाव,
सबकी परछाई एक सी दिखती दिखाती न जातपात।।
अंदर से कौन है कैसा यहाँ पर पता नही लगता,
परछाई दिखाती है सबको यहाँ पर एक जैसा।।
छोटा भी जब बड़ा है बनता दुनिया पर न हुक्कम है करता,
जीवन की वह उसी भीड़ मे अपने ही कर्मो से लड़ता।।
परछाई जीवन की राह सिखाती न जाती जो मरने के बाद भी,
जीव अपने परायो मे खोया मरते मरते भी जीवन का हिसाब लगये।।
-उदित जैन
@imuditjain
@_uduaash_ink_
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