देखो एक मादा फिर से नर बनने चला।

दुनिया की खबर मे खुद को भूल गये हम,क्या थे हम और क्या बन गये है हम

Originally published in hi
Reactions 1
636
udit jain
udit jain 10 Jun, 2020 | 1 min read
beinovative short story stayhealthy social relationship sad staysafe bepositive paperwiff woman life

ये तेरी चूडी,ये तेरा नुकता 

ये तेरी बालाई,ये तेरा कालिख ,

स्त्री के है यहाँ सोलह श्रृंगार।।


जन्म से अधूरी ख़्वाहिशे लेकर,

पैदा हुआ हूँ मै इस दुनिया मे,

खींच ली जब मैने हाथ मे चूड़ी,

पांव की पायल और लोम आजाद कर दिये।।


सुखद पीड़ा के अनुभव को अब,

यह आवरण मेरी तरसती है,

संबधो की अनमोल भूख जब,

पैरो के बीच अदृश्य होकर गुजरती है।।


यह मृदु शरीर तो मरकर कसैला हो गया,

सूख गये अब मेरे निष्क्रिय उर,

उभरने का भी इन्हे अब हक नही,

विजय हुआ तुम्हारा यह आशय,

एक सेवक,सेवक ही रह गया।।


आंखो से मेरी यह दर्द टप-टप बहता रहा,

अच्छा हुआ खुश हो तुम अब,

वह टीस अब चुभती है मुझे जो,

टिप टिप कर यहाँ बह गया।।


देखो एक मादा फिर से नर बन चला।


-उदित जैन 

(Delhi)

1 likes

Published By

udit jain

_uduaash_ink_

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.