उड़ान

उड़ान अब सिर्फ मौका चाहिए ताकि उड़ान भर सकूं।

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Dr Jyoti agrawal
Dr Jyoti agrawal 09 Jun, 2020 | 1 min read

उड़ चला है एक पंछी अब नयी तलाश में,

 मंजिलें हो कितनी भी मुश्किल थकना नही उनकी तलाश में।


मत दो चाहे खुला आसमान तुम मुझे उड़ने को

हौसला इतना है कि एक मुठ्ठी आसमान भी काफी है, 



चाहे कतर लो तुम मेरे पंख जितना चाहो ,

पर हौसलों के पंखों की उड़ान अभी बाकी है।


कागज की कश्ती बनाकर तैरना तो सीख लिया,

अब रॉकेट बन चुका है बस उड़ान भरना बाकी है,


जकड़ लिया है तुमने मुझसे बेड़ियों में माना,

पर हौसले का दम ना कभी कम कर पाओगे।


चाहे कर दो कितने दरवाजे ने बंद मुझे,

पर हौसलों के बबंडर से अब बस दरवाजों का 

टूट कर बिखरना ही बाकी है


ज्योति अग्रवाल


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