पापा:- मेरे अस्तित्व की छाया

My father is my superhero and I'm his superdaughter ?.

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Dr Jyoti agrawal
Dr Jyoti agrawal 20 Jun, 2020 | 1 min read
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जिनके बड़े से हाथ में मेरी नन्ही उंगलिया आयी,

जिनके बड़े से चेहरे को अपने नन्हे हाथो से खिंचा,

जिनके कंधे पर बैठकर मंदिर की घंटिया बजायी।


जिनकी उंगलिया पकड़कर चलना सीखा है मैंने,

जिनका चेहरा एक पल भी मेरी तरफ से हटता तो 

रो रोकर मेरी तरफ किया करना,

मस्ती मस्ती करते करते नन्हे पैरो से उनपर चढ़ने की कोशिश करना।


मेरे कुछ मांगने पर उनका मुझे वो चीज लाके देना,

मेरी जो जिद पूरी ना करनी होती थी उसके लिए मना कर देना,

फिर जब मैं गुस्सा करती और रोती तो मुझे पुरे घर में 

मानते हुए घूमना और फिर मुझे प्यार से समझाना।


उनका मुझे नये नए लोगो से मिलवाना,

उनका मुझे नयी नयी जगहों पर घुमाना,

छोटी छोटी बातों से सिख लो सीखाना।


मम्मी के डांटने पर मुझे चुप कराना,

उनके सामने मेरी तरफ हो जाना,

इशारो इशारो में बातें कर बहुत मस्ती करना।


ज्योति अग्रवाल

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