आखिर अबतक और क्यों ?
जरा सोचिये...?
मै इस देश की बेटी हु !
मै भी एक इन्सान हु !
मै भी भविष्य हु वर्तमान हु !
मै पत्नी हु बहन हु !
मै भी दोस्त हु इस देश की बेटी हु !
में गौरव हु सम्मान हु अभिमान हु !
फिर ये मेरे साथ ये हेवानियत दरिंदगी क्यों ?
क्या मुझे खुलके हसना खेलने के कोई हक़ नहीं ?
क्या मुझें जीने का कोई हक़ नहीं है ?
आज में ये सवाल आप सब से पूछ रही हु क्या मुजहे एसेहि डर डर के रहना होगा ?
क्या हमारा समाज इतना निष्ठुर होगया है की उसे हमारी आज़ादी ख़ुशी राज़ नहीं आती , क्या हमारी सरकार इतनी नाकारा होगी है की वो हमारी सुरक्षा नहीं कर सकती ? आखिर कब तक हमें यही डर डर तक जीना होगा अपनी सांसे भी सेहम सेहम कर लेना होगा आखिर कब तक ? बे एक बेटी हु नारी हु क्या मुझे यही सजा मिलेगी ? इस देश को इस धरती को पीढ़ी को आगे बढ़ने में जो मेरा योगदान है क्या मुझे अपने इस योगदान का यही फल मिलता रहेगा ? आखिर कब ख़त्म होगा ये रेप बलात्कार छेड़खानी बेहूदगी ? क्या हमारी सरकार इतनी नाकारा निक्कमी और समाज गलत और जुर्म के आगे अंधा होगया है इतनी कमज़ोर होगी है की हमारी सुरक्षा नहीं करसकती इस देश की बेटी का ख्याल नहीं रखसकती आखिर कब तक ?
और आप लोग इस समाज और देश के नागरिक है तो आप भी क्या मेरी सुरक्षा नहीं कर सकते ?
आखिर कब तक ये चलेगा कब तक में सहुगी ये सब ?
आखिर कब तक कब तक ?
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