में क्या कहूं कैसे कहूं किस तरह बया करूं अपने दिल की दास्ताँ !
अभी कुछ ही महीनो पहले यानी की ०५ जनवरी २०१८ को हमारे घर नन्ही सी प्यारी सी परी बिटिया रानी का जन्म हुआ है और में पिता बना हूँ मेरा दिल मेरी प्यारी सी बिटिया को देख इतना प्रफुल्लित हुवा है की मानो साक्क्षात लक्ष्मी आई हो हमारे घर। बिटिया का जन्म होते ही हमारे परिवार में हर्ष और उल्लास का माहौल छाया हुआ है मेरी बिटिया रानी के आने से एक तरफ पिता बनाने की ख़ुशी भी हुई है और एक तरफ ज़िम्मेदारी के एहसास भी होने लगा है की अब पिता बन गया हूँ।
खैर ये तो बोहोत ख़ुशी की बात है पर आप सब से अपने दिल की बात बताना चाहता था वो है निर्दई पिता वाली बात वो इस तरह है की,
मेरी बच्ची जब डेढ़ महीने की हुई तब उसे एक टिका लगने वाला था मतलब की जब किसी भी बच्चे का जन्म होता है तब बच्चो की तरह तरह की बीमारियों से बचने के लिए उसे डाक्टर टिका लगवाने नज़दीकी आरोग्य केंद्र पर ले कर गया टिका लगवाने फिर उसे डॉक्टर की पास जांच करवाई उन्होंने मुझे बताया की सब ठीक है फिर डॉक्टर ने अचानक मुझसे कहा की आप न करते हे बच्चो को सुई लगा ते है यानी की वेक्सीन देते है बस तो क्याथा हमारी भी बिटिया रानी को वेक्सीन लगनी थी तो मै अपनी बिटिया के जन्म के डेढ़ महीने बाद उसे हमाअपनी बिटिया का पैर मजबूती से कस के पकड़ियेगा क्यों की उसको इसी पैर के भाग में वेक्सीन दी जायेगी बस तो क्या था हम तो उसे बात को सुन स्तबध की इतनी कोमलसि प्यारी सी नाजुकसी बिटिया रानी को ये सुई लगेगी कितना दर्द होगा तकलीफ होगा मन किया की डॉक्टर को मना कर दू की रहने दीजिये कोई काम नहीं है वेक्सीन लगाने की मुझसे अपनी बिटिया का दर्द देखा नहीं जाएगा फिर सोचा की चलो ठीक है इसके स्वास्थ के लिए आने वाले कल के लिए ये ज़रूरी भी है फिर मेने बिटिया का पैर बड़े ही आराम से कस के आहिस्ता से पकड़ा और डॉक्टर ने सुई लगाईं मेरी बिटिया रानी मेरे हाथो पर गालो पर अपने हाथ पैर मारते हुवे इतनी ज़ोरो से चिल्लाई की में सुन्न रह गया मेरे होश ही उड़ गए अपनी दिल के टुकड़े को दर्द में रोते चिल्लाते हुवे देख सुन मेरे आँखों में भी आंसू आगये गला भर आया दिल रुवासी होगया की में भी कितना निर्दई पिता हूँ अपनी ही बिटिया रानी को तकलीफ दी बिटिया रानी मुझे ऐसे देख रही थी की अगर हो उस पल बोल सकती तो मुझे कहती की पापा आप ने मुझे सुई लगते हुवे कैसे देख लिया आप ने मुझे दर्द में जाते हुवे क्यों रोका नहीं पापा आप बोहोत निर्दई है l
बिटिया इतनी जोर जोर से रो रही थी की में सेहम सा गयाथा और उसे सीने से लगा कर अपने हाथो से बाहो में लिपटा कर उसे चुप करवाने में लगा हुवा था और फिर कुछ देर बिटिया रोते हुवे मेरे चेहरे पर अपने हाथ को घुमाते हुवे सो गई फिर उस पल मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की मानो मेरी बिटिया को मेने जो सीने से लगा के लिपटा के रखा था तो वो मेरे दिल की धड़कनो को माँ की लोरी समझ कर धक् ~ धक् सुनते हुवे अपने पिता की बाँह में सोगई l
फिर में अपनी बिटिया को कुछ देर बाद घर ले कर पहुंचा और घर पहुंचते ही अपनी पत्नी और माता पिता से मेने अपने दिल की बात कही की में कितना निर्दई पिता हूँ की उसे जानबुझ कर अपनी बिटिया को तकलीफ में डाला मुझे पता था की बिटिया को दर्द बोहोत होगा फिर भी उसे सुई लगाने दिया कितना निर्दई हूँ पर ठीक है न बिटिया के लिए उसके जीवन के लिए उसके स्वास्थ के लिए ये जरुरी भी था l
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
So emotional
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