वक़्त को वक़्त कि पड़ी है मार ऐसी,
की अब तो मोहोबत्त करना भी अपराध होगया है l
सच बोलना भी गुन्हा हो गया है,
वक़्त के साथ चलना भी,
एक मजाक होगया है l
अब तो रिस्तो को भी लोग सचाई से नहीं नापते,
झूठ और दिखावे ही,
सच्चे रिस्तो की नीव बन गई है l
झूठ को कोई प्रमाण देने की ज़रूरत नहीं पड़ती,
और सच्चे रिस्तो को अब,
प्रमाण कि जरुरत पड़ने लगी है l
अविश्वाश और झूठ का पर्दा यु आंखोंपे गिरा हुवा है कि,
न तो सच्चे रिस्ते नज़र आते है,
न तो विश्वाश कि वो डोर नज़र आती है l
सत्य ने झूठ का दामन इस कदर जकड़ा है,
कि अब तो झूठ भी सत्य लगने लगा है l
पर ये बात भी सत प्रतिशत सत्य है कि,
झूठ तू चाहे जितना भी सत्य के करीब क्यो न हो
झूठ झूठ ही होता है और सच सच ही होता है l
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