यारों यहाँ उम्र बीत जाती है दौलत कमाने में और यहाँ लोग हजारों ~ लाखों ~ करोड़ो खर्च कर देते है बेमतलब की रस्मों रिवाज़ों और दिखावे में।
ज़रूरी नहीं की रिश्तों में पैसे खर्च करने से ही ख़ुशियाँ आती है ज़रुरी नहीं दौलत से ही रिश्ते मजबूत होते है। अच्छे रिश्ते हमेशा परस्पर विश्वास से सच्चे दिल से सच्चाई से और ख़ुशियों से जुड़ते है न की बेवजह बेफ़िज़ूल दौलत के लुटाने से दिखावे से। समाज के सामने दुनिया के नज़रों में हम दिखावा करे या न करे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता हम कैसे व्यवहार करते है कैसे रहते है कैसे रिश्ते निभाते है इससे हमें फर्क पड़ता है और फर्क पडना भी चाहिए क्यों की समाज क्या सोचता है दुनिया क्या सोचती है उससे कोई मतलब नहीं पर हम क्या सोचते है हमारे अपने क्या सोचते है इससे हमें फर्क पड़ना चाहिए। जीवन में हम किस राह पे चलते रहे है इससे हमें फर्क पड़ना चाहिए। यदि हम सही है और सच्चे दिल से हमारे रिश्तों को निभाते है हंसते मुस्कुराते हुए आगे बढ़ते है, तो हमें समाज या दुनिया क्या कहता है क्या सोचता है उसकी फ़िक्र नहीं करनी चाहिए क्यों की हम सही है और सही रास्तों पर है और हमारे रिश्ते विश्वाश की डोर से मज़बूती से जुड़े है तो हमें फिक्र करने की कोई जरुरत नहीं बस हमेशा हसते मुस्कुराते हुवे और खुशिया बांटते हुवे आगे बढ़ाते रहना चाहिए।
खुशियों के लिए दौलत ज़रूरी नहीं प्यार ज़रूरी है दिखावा ज़रूरी नहीं दिल का मिलना ज़रूरी है।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सही बात कही है लेख में
JI SHUKRIYA BABITAJI
संदेशप्रद
thanks thank you so much Kumar Sandeep ji
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