कम्बखत हमारी आँखें और साँसें
दोनों ही उनकी मोहब्बत की तरफ़दारी
करते रहते हैं
आँखें बंद करूँ तो
पलकों पे वो नज़र आती है
साँस लू तो महक उनकी
मोहब्बत की आती है
क्या करूँ कम्बखत
ये मोहब्बत भी,
ये दिल तो हमारा है पर
कम्बखत ये भी उनकी ही
तरफ़दारी करता है
उनके न होने के बावजूद
उनके होने का एहसास
दिलाती रहती है
हां ये सच है की उनकी
मोहब्बत अक्सर
हमारी आँखों को नम करती रहती है
इन सांसों को
मोहब्बत की महक से
खुशनुमा करती रहती है
वो थी तो उनकी मोहब्बत
ही हमारे जीने की वजह बन गई थी
अब भी उनके न होने के बावजूद
हमारे जीने की वजह उनकी मोहोब्बत ही है
ये मोहोब्बत ही तो है
जिसने मुझे कायम रखा है
वरना हम खामोश तो कबके होजाते।
'' मोहब्बत ही पूजा है जीवन है हमारी
चाहे तुझसे करू या इंसानियत से करू ''
Comments
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Lovely bro...
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