समाज में आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो हमेशा हमें सिखाते रहते हैं और नसीहत देते रहते हैं कि पत्नी को या औरत (नारी) को हमेशा अपने चरणों के नीचे रखना चाहिए। उसे अपनी जूती बना के रखना चाहिए ताकि वो हमारे काबू में रहे और हमेशा हमारा कहना करे। हम पुरुष (मर्द) जो करे वही उसे करना चाहिए तभी हम सही में मर्द कहलायेंगे, कमाल है ना! आज भी ऐसी बेतुकी और बेशर्मों वाली और नामर्दों वाली बात करते हैं ये लोग। हम तो हमेशा यही कहते हैं कि जब पत्नी को अर्धांगिनी कहा जाता है उन्हें हमारे सामान हक़ दिए जाते हैं तो उनकी जगह चरणों में या जूती के नीचे नहीं उनकी सही जगह हमारे दिल में होनी चाहिए और पत्नी या नारी को काबू में रखने की क्या ज़रूरत है। दिल से प्रेम से रहे समझदारी से एक-दूजे के संग प्यार से रहें तो उस रिश्ते में प्यार होता है और जहाँ काबू में रखने की बात आती है वहीं वो रिश्ता, रिश्ता नहीं एक बंधन बन जाता है और उस रिश्ते में कुछ दिनों के बाद घुटन सी महसूस होने लगती है और बाद में वो रिश्ता नाम का ही रह जाता है। अरे, दोस्तों हमारा तो यही मानना है कि हमेशा नारी हो या पुरुष सबको एक समान मानना चाहिए। एक सामान अधिकार मिलना चाहिए और कोई बड़ा या छोटा नहीं है सब एक समान है तभी तो खुद महादेव का अर्धनारीश्वर रूप हमें हमेशा ये प्रेरणा देता रहता है कि स्त्री हो या पुरुष दोनों ही एक दूजे के पूरक हैं एक समान हैं।
समानता का प्रतीक अर्धनारीश्वर
जहाँ काबू में रखने की बात आती है वंही वो रिश्ता, रिश्ता नहीं एक बंधन बन जाता हैl
Originally published in hi
Tejeshwar Pandey
16 Jan, 2020 | 1 min read
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