✍ हा ये सच है की कभी कभी हालात को संभालते संभालते हम अपने आप को ही संभालना भूल जाते है कभी कभी हम वक़्त को जो समझना चाहते है वो वक़्त समझ नहीं पाता है और वो किसी गलतफहमी ही अपने आप को गुम कर देता है ठीक है हमसे जो बन पड़ता है वो हम करते है वक़्त न समझना चाहे गलतफैमी में रहना चाहे तो वक़्त की मरज़ी वरना हमतो हमेशा वक़्त का युही साथ देते रहेंगे सँभालते रहेंगे अगर वक़्त समझाना सम्भालना चाहेगा तो ठीक वरना हम संभालेंगे वक़्त को वक़्त के हिसाब से !
वक़्त को वक़्त के हिसाब से
वक़्त को वक़्त के हिसाब से संभालेंगे !
Originally published in hi
Tejeshwar Pandey
31 Mar, 2020 | 0 mins read
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