देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान कितना बदल गया इंसान,
इंसान लाख कोशिशें क्यूँ न कर ले सारे तीर्थ धाम क्यूँ न कर ले फिर लाख जतन भी क्यूँ न कर ले अपने जीवन को सुखी-सम्पन्न बनाने के लिए। इस दुनिया में लाने वाले भगवान से भी बढ़कर जो है हमारे माँ-बाप है। अगर हम उन्हें ही ख़ुशी नहीं दे सकते, उन्हें प्यार नहीं दे सकते, उनका सम्मान नहीं कर सकते तो कोई मतलब नहीं, हमारे उन तीर्थ-धाम का, सुखी सम्पन्न जीवन का। अरे, माँ-बाप जब हमें जन्म देते हैं, तब से ही वे हमारे लिए हमारे सुखी और समृद्ध जीवन के लिए न जाने कितने ही जतन करते हैं। अपनी खुशियों का गला घोंट के वे हमारे मंगलमय जीवन की कामना करते हैं।
हमेशा हमें ख़ुशी देने के लिए निरंतर अविरल परिश्रम करते रहते हैं। दुनिया की तमाम दिक्कतों से लड़कर अपनी तकलीफों को हम से छिपा कर वो हमारे लिए खुशियाँ बटोरते रहते हैं और हमें ख़ुशी देते रहते हैं। आज समय ऐसा हो गया है की माँ-बाप अपने बच्चों को किसी भी हालात में, किसी भी परिस्थिति में पालन-पोषण करते हैं और हम हैं कि आज उनके सारे परिश्रम-तकलीफें भूल, बस उन्हें कोसते रहते हैं। उनके बुढ़ापे में उनका सहारा बनाने के बजाय उन्हें बेसहारा कर देते हैं। उन्हें ख़ुशी देने के बजाय दुःख देते हैं।
यहाँ आज इंसान माँ-बाप की खातिर कुछ त्याग नहीं कर सकता। अपनी खुशियों का बलिदान नहीं दे सकता। अब क्या कहे, अरे, जो माँ-बाप हमारी ख़ुशी की खातिर न जाने कितने ही खुशियों से मुँह मोड़ा हो तो क्या हम इन्सान उनकी ख़ुशी की खातिर अपनी खुशियों को नहीं त्याग सकते। सोचिये ज़रा..?
और हाँ, एक बात और, यहाँ भी सत्य है और इस बात को कोई नकार भी नहीं सकता की हम चाहे जितना धन दौलत क्यूँ न कमा ले, चाहे जितनी तरक्की क्यूँ न कर ले, पर माँ-बाप की खुशियों के सामने यह सब धन-दौलत व्यर्थ है। ये सारी खुशियाँ निरर्थक है। उसका कोई मतलब नहीं, कोई मोल नहीं, और इंसान चाहे जितना भी तीर्थ धाम भक्ति भाव कर ले पर माँ-बाप की भक्ति बिना, सेवा बिना, उनकी ख़ुशी के बिना, ये सब व्यर्थ है !
यार, माँ-बाप जब हमारी खुशियों की खातिर अपनी खुशियों की परवाह नहीं करते तो हम भी क्यूँ उनकी खुशियों की खातिर अपनी खुशियों का त्याग नहीं कर सकते।
जिस दिन हम ये समझ लेंगे की माँ-बाप का दिल जीत लो, बस सफलता अपने आप ही मिल जाएगी।
नहीं तो सारा जीवन सफल हो कर भी असफल कहलायेंगे। भगवान वहीं है जहाँ, माँ-बाप की खुशियाँ है। वे ही तो हमारे सच्चे भगवान हैं, इसीलिए तो हम कहते हैं कि मैं और कोई भगवान नहीं जानता सिवाय अपने माँ-बाप के ।
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