✍️ दंगा दर्द और ज़िन्दगी भरका नुक्शा , मत करो इंसानियत हो बर्बाद ,घर मकान रोज़गार छीनगए इस दंगे की आगमें , अरे वो घरका चिराग भी चलागया जो उमीद थी बूढ़े मा बाप की लाठी था, वो सुहाग उजड़ गया , उस बच्चे की छत चीन गई इस दंगे की आग में , मत करो बर्बाद इंसानियत को मत करो राख उसके सपने को मत करो बर्बाद इंसानियत को इस दंगे की आग में , आज जो तुम कर रहे हो ध्यान रखना वो जो ईश्वर अल्हां है न वो सब हिसाब रखता है याद रखना वो नही बख्शेगा ! मत बनो धर्म के ठेकेदार इंसान हो इंसानियत से प्यार करो !
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