शाम थी ,ढलता सूरज था ,
हाथ मे क़लम और काग़ज़ पर लिखा नाम तुम्हारा था ,
उदास चेहरा और नंम आँखे थी ,
परेशान दिल और ख़याल सिर्फ़ तुम्हारा था ,
जब देखा ढलते सूरज को , तो काग़ज़ पर से लिखा नाम मिटा दिया ,
दिल से तुम्हे याद कर ,वो खोने का दर हटा दिया ,
सोचा की इस मॅन को समझोउ कैसे..?
मगर एस ढलते सूरज ने , एक और स्वप्न नये दिन ओर एक उमीद का किरण दिखा दिया l
क़लम और काग़ज़ पर लिखा नाम तुम्हारा
ख़याल सिर्फ़ तुम्हारा था
Originally published in hi
Tejeshwar Pandey
27 Feb, 2020 | 1 min read
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