शहर मे भयंकर प्रदूषण
आज सब बंद है
कुहासे और धुन्ध की चादर
कुछ नज़र नहीं आता कहीं
हाँ मनाही सब को
कहीं बाहर जाने की
"जरूरी कामों से ही बाहर निकले"
"खासकर बुढ़े और बच्चे",
जारी कर दी गई कल ही ये सूचना
इसी बीच दिखी वो काया
अरे काका! चल दिये कहां भोर में ?
बुढ़े को सड़क पर देख
मैं सवाल पूछ आया
"बिटवा! डब्बा है दूध का,
पहुंचाना है दुकान दुकान,
ना पहुंचाये तो गजब हो जाएगा!"
अरे काका! बंद होगा सब आज,
जिद यह छोड़ों तुम,
सुना नहीं बच्चे बुढ़े ना निकले
जहरीली है हवा
मर मुरा जाओगे
चले जाओ घर तुम!
"बिटवा! बंद होगा शहर आज
पर पेट हमारा बंद नहीं ना!"
हाँ जवाब तो सही था
बस निकल पड़ी वो भूख
उस धुन्ध को चीरती हुई
हाँ जी सच यही है
भूख से बड़ी समस्या
और क्या होगी?
Comments
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Good poetry
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