मेरी माटी से लिट्टी - चोखा

उत्तर भारत का प्रसिद्ध लिट्टी चोखा, मेरे लेख से आपके प्लेट तक

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 15 Aug, 2021 | 1 min read
Uttarpradesh North Indian food Bihar Food&culture

मेरे माटी से स्वाद जरा अलग अंदाज लीजिए। बात पिछले साल की है। मैं लॉक डाउन की मारी गृहणी,जहाँ दिवाली का सेलिब्रेशन तीन दिन में खत्म हो जाता है वहीं ये कोरोना वाला खत्म ही नहीं हो रहा है। जलेबी, समोसे, टिक्कियां, पानी पूरी, बिरयानी, छोले भटूरे, ढोकले मतलब यू ट्यूब पर जितनी खाने योग्य देखी सारी चीजे बना दी गई थी। बीच में धमकी भी दी गई कि 'कोरोना खत्म करना है देश का राशन नहीं'। अब उन्हें कौन समझाये? जवाब आता

 "ना! हमने कौन सा गुनाह किया, ई कोरोनवा तो बाजू वाले देश का हरकत है सजा हमे क्यों.. हम तो खाएँगे, बस बनाओ तुम!"

अब इसी बीच गाँव की ओर पलायन की खबरे आने लगी। टीवी देख- देख सबकी दुखती रग हरी हो रही थी। सासू माताजी को फोन पर ख़बर मिली शहर में बसा उनके मायके का सारा कुनबा गाँव की ओर हो लिया। एक दिन मैं अपने लिखने वाली दुनिया से बाहर निकल कर हॉल में गई तो आँसू भरे सब बैठे हुए थे। 

"अब क्या हुआ?"

"गाँव की याद आ रही मम्मी को।" 

"तो?" 

"तो क्या? सारे लोग बिहार जा रहे हैं, हम्में यहीं बैठे माटी की खुशबु आ रही है... " 

स्वदेश पिक्चर वाली इनकी हरकते देख मैंने माथा पीट लिया और तुरंत किचन में गई। कुछ तो इलाज निकालना ही पड़ेगा। अब इस कोरोना काल में सबसे अधिक समय वहीं बिताया जो था तो उपाय भी वहीं मिलेगा, वैसे भी किचन में कोरोना वैक्सीन छोड़ सब तो बना ही दिया था। समझ आ गया था कि इन्हें माटी की नहीं बल्कि लिट्टी बाटी की खुशबु आ रही थी। तो आखिरकार शुरू किया मैंने, रेसिपी आप भी देखिए ;


(आटा) 

एक परात में गेंहू का आटा लिया, चार लोगों के लिए 3 कटोरी आटा। 

उसमे चुटकी भर नमक डाला और हल्का सख्त आटा गुंथ लिया। 

(भरावन) 

अब एक कटोरी चने का सत्तू लिया। 

उसमे हरी मिर्च - अदरक - लहसुन का दरदरा पेस्ट डाला। अब जिसको जितना तीखा चाहिए। 

उसमे अज्वाइन डाली जो बेहद जरूरी है। 

नमक, चुटकी भर हल्दी, नींबु का रस एक टी स्पून, और खास चीज़ अंचार का मसाला, और थोड़ा सरसों का तेल जो उसी अंचार मे पका हुआ रहता है। थोड़ी धनिया की पत्तियाँ बारीक कटी हुई। मैंने थोड़े कटे प्याज भी डाले। वैसे लहसून प्याज स्कीप करने पर भी स्वाद में कुछ खास अन्तर नहीं आता है। 

अच्छे से मिलाकर आटे की छोटी छोटी लोई बना कर उसमे भर लिया। 

कढ़ाई में तेल गर्म कर चोखे की तैयारी करने लगी। 

(चोखा) 

बैंगन को आग पर भुन कर छिलका उतार कर मैश कर लिया। साथ ही उबले आलू, भुने हुए टमाटर भी छिलके उतार कर मिला दिया। हल्का तेल गर्म कर उसमे जीरा, कढ़ी पत्ता (मुंबई में रहने के चलते बिगड़ी आदत), हींग, अदरक लहसून मिर्ची का पेस्ट, नमक, हल्दी डालकर भुन लिया। उसमे चोखे को डाल उसपर थोड़ा धनिया पत्ता भी डाला। वैसे चोखे में मैं अचार का मसाला भी डालती हूँ। 

हालाँकि लिट्टी गोईठी (उपलों या कंडों पर) या कोयले पर सिकी अच्छी लगती है पर मेरे पास डीप फ्राई का ही ऑप्शन था। 

तेल गर्म होने के बाद आँच मद्धिम कर दी ताकि आटा अंदर से कच्चा ना रह जाए।

 मेरी मम्मी तो कभी कभार पानी में उबाल कर भी बनाती थी, फिर ठंडा होने पर सिर्फ हल्का तड़के जैसे फ्राई करती थी। उसके बाद लिट्टी को प्लेट में निकाल लिया। 

अब सौंधी खुशबु नाक तक जाते ही सबका मन खुश हो गया। 

"वाह! तुमने तो गाँव ही यहाँ ला दिया!" 

हाय रे पेट के गुलामों!! तुम्हें गाँव की नहीं सिर्फ खाने की याद आ रही थी ये मुझे पता था। वैसे भी कौन सा छुट्टियों में गाँव चले जाते है सब, हैं? 

अब इस कोरोना के खत्म होने तक चुप चाप घर में टिके रहो सब। आशा है जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। फिर अपने माटी का स्वाद लेने अपनी माटी की ओर लौटेंगे। 

तो आप सभी जरूर बनाएँ, और मुझे बताइए कि स्वाद कैसा है? 



-सुषमा तिवारी



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