जनतंत्र का मंत्र

26 जनवरी पर पेपर विफ संग गणतंत्र दिवस पर एक छोटी सी कविता

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Sushma Tiwari
Sushma Tiwari 25 Jan, 2022 | 1 min read

हाँ देश मेरा गणतंत्र है, 

गुलामी की ज़ंजीरो से छूट 

स्वतंत्र है, 

ये लोकतंत्र है!

शहीदों की इस भूमि पर 

उठाए जो किसी ने सवाल 

तो जवाब हम देंगे! 


फ़िर याद रखना,


जो चूक गए आज कर्तव्यों से, 

रद्दी में पड़े रहेंगे अधिकार!

गिरेबां में झाँक कर कहना 

देश की उन्नति का 

हिसाब हम देंगे? 


अरे बेड़ी तोड़कर निकले है!

कुछ ज्यादा कुछ थोड़ा 

रह जाता है अक्सर, 

इस बीच भूल ना जाना 

उम्मीद सी भरी आँखों को 

सुनहरे ख्वाब हम देंगे! 


ये तिरंगा...

बसता है ज़न ज़न के मन मे, 

रोम रोम डूबा देश प्रेम मे 

तुम कोशिश भी ना करना

बहकाने की!

उखड़ जाए जड़ से नफरत 

वो मुहब्बत का सैलाब हम देंगे! 



जो इतिहास पढ़ा है अबतक 

कुर्बानी और बलिदानो का,

आगे इतिहास सुनहरा हो 

इस देश का, 

तो प्रण है! 

आने वाले भविष्य को 

वो किताब हम देंगे!



-सुषमा तिवारी


जय हिंद! 

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