क्या करूँ और क्या ना करूँ, इसके बीच एक लंबी सी खाई। इस पार से उस पार तक जाने का रास्ता आज तो जरूर मिल जाएगा। क्या कमी रह जाती है हर बार मुझमे, जो मेरे सपनों की दुनिया का प्रवेश द्वार मेरे लिए बंद ही रहता है। रिया के साथ ही शुरू किया था संगीत सीखना, आज वह कहां टॉप की गायिका और मैं तीन साल से यंत्रवत इस ऑफिस में काम कर रही हूं। मेरा संगीत अब टकराते कॉफी के कप और फाइलों के पन्नों की आवाज में कहीं खो गया था। मेरी असफलताओं का भूत साये की तरह हमेशा मेरे पीछे लगा रहा । इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की नौकरी का बस आज यही फायदा हुआ की रिया से दुबारा मिलने का मौका मिला। सोचा क्यों ना एक बार रिया से ही पूछ लूँ की कहाँ चूक गई मै जबकि क्लास में हर बार शाबाशी मुझे ही मिलती थी। उस असफल ऑडिशन के बाद रिया के सामने यह ऑडिशन मेरी उम्मीदों की नई डोर थी।
" बताओ ना रिया! मैं क्यों नहीं बन सकती सफल गायिका तुम्हारी तरह, क्या कमी है रहती है हर बार मुझमे?"
" बस यही, कि तुम्हें यह लगता है "
मेरा सवाल ही मेरा जवाब बन कर मेरे सामने खड़ा था मुझसे सवाल करते हुए।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत अच्छा सन्देश दूसरे के गुण देखने के साथ साथ खुद की कमियों को भी निखारने का प्रयास जरूरी है। 👏👏👏
@babita जी शुक्रिया
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