मेरे प्रिय हृदय
तुम मुझे जीने के लिए
हमेशा ही प्रेरित करते हो।
मैं भी जिस तरह से
तुम से प्रेम करती हूँ,
दिखेगा तुम्हें मेरी आँखों में
बस ध्यान से देखो ,
छाए हो मेरे दिमाग में भी तुम ही
दिन और रात, चुपके से
हमेशा उस शाम के बारे में
खूबसूरत सपने में खोई हुई ।
चलो मैं तुम्हारी तुलना
किसी खूबसूरत तारे से करूँ तो?
तुम उससे कई गुना ज्यादा
शांत, सुंदर, आकर्षक
और कहीं ज्यादा दूर हो।
जानते हो रात की नर्म
ऊष्मा भी टुट जाती है,
जून के गर्म हवाओं के प्रहार से
गर्मियों के दिन में भी फिर
अगस्त के आंसू का आगमन होता है।
मैं तुम्हें कैसे प्रेम करती हूँ?
चलो मुझे तरीकों की गिनती करने दो
मुझे तुम्हारे विचारों से प्रेम है,
वह अज्ञात मुस्कान
मुझे उससे भी प्रेम है
तुम्हारे मनभावन गीतों को सोचकर
मेरे दिन निकल जाते हैं
तुम्हारे प्रति मेरा प्रेम ही
प्रेम की विरक्त रीत है।
जानते हो अब मुझे
प्रसन्न मन से तुमसे दूर होना चाहिए,
मेरे शब्दों को याद रखना
हम एक से कहां थे?
मुझमें तुम ही तुम थे
जबकि तुम मुझसे अलग थे ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.