सारी जिम्मेदारियाँ उसके हवाले कर
साथी आजाद हो जाते है
शादी के बाद मिल जाती है
सोशल सिक्युरिटी उन्हें
दूजे के नाम सारे काम हो जाते है
सारे पति ऐसे नहीं होते
पर होते है कुछ
जिनके साथ फिर सहती रहती है
वो पत्नियां कुछ नहीं कहती है
बिलकुल सच्चे दिल से
उनके परिवार को स्वीकार कर
अपना बना लेतीं है
छोड़ कर भी जाएं कहाँ?
अपनी खुशियों को बस सपना बना लेतीं है
नहीं कह रही मैं की छोड़ दो उन्हें
या तुम परिस्थतियों से भाग जाओ
हालात अलग होंगे तो फैसले अलग होंगे
पर किसी एक की गलती को
आँखों पर पट्टी बाँध कर
चुपचाप बस सहते ना जाओ!
कोशिश करो उनसे दिल का हाल कहो
ना बने बात से बात तो
हो जाओ नाराज, मनुहार की मांग करो
जहां होता है तनिक भी प्रेम
नाराजगी जाहिर करना अच्छी बात है
दफ्न हुआ मन बू फैलाता है
वही ठहरे हुए ज़ज्बात है
रिश्तों में होना चाहिए पूर्ण समर्पण
अहंकार का त्याग हो
सपनों को जीना अच्छी बात है
पर साथ ही साथी का ख्याल हो
जिम्मेदारी किसी एक की नहीं हो सकती
परिवार दोनों का होता है
खुशियों में इनवेस्ट करने से
अच्छा रिटर्न प्राप्त होता है।
-सुषमा तिवारी
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.