मुझे अच्छी लगती है वो औरतें
हवा से बाते करती हुईं
वो जो बेफिक्री में
साइकल, बुलेट,
और कार चलाती है
जो बिंदास प्लेन भी चलाती हैं
रफ्तार उन्हें डराती नही
वो मुझे अच्छी लगतीं है..
वो जो खिलखिला कर हँसते हुए
अपना मुँह नहीं ढकती
नही देखतीं अलग-बगल
घूरती निगाहें उन्हें परेशान नही करतीं
वो मुझे अच्छी लगतीं है..
जो निकल पड़ती है
दुनिया घूमने जब मन करे
दोस्तों के साथ
वो जिंदा नजर आती है
मुझे अच्छी लगतीं है..
वो जो किसी से इजाजत नहीं लेती
वो औरतें
मुझे अच्छी लगतीं है..
अगर जहर लगती है
वो कुछ लोगों को
तो लगने दो
लगता है उन्हें वो फन फैला रही
तो लगने दो
मुझे फिर भी ऐसा लगता है
ग़र धरती है तो
उन्हीं के फन पर
टिकी हुई है।
-सुषमा तिवारी
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